बिना रसायनों के उपयोग करके खेती करना जैविक खेती कहलाती हैं। इसमें प्रकृतिपरक एवं संसाधन संरक्षण को बढाने वाली पद्दतियों का समावेश कर सार्वभोमिक प्रबंधन एवं टिकाउपन पर जोर दिया जाता हैं । रासायनिक अवशेषों के भोजन श्रंखला में बढ़ते हानिकारक प्रभाव, पर्यावरण प्रदुषण, मिटटी में बढ़ते पोषक तत्वों की कमी तथा स्वास्थ्य के प्रति बढती सजगता, प्रति इकाई आदान कम होता खाद्य उत्पादन एवं मिटटी में घटता कार्बन स्तर के कारण जैविक कृषि को वैकल्पिक कृषि में अपनाया जा रहा हैं ।
नीति निर्माता, बेहतर पर्यावरण बनाने के प्रयासों के अलावा मृदा स्वास्थ्य की बहाली और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ाने हेतु जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत तेजी से दुनिया के बाजार में संगठित रूप से उत्पादित कृषि उत्पादों की आपूर्ति का एक बड़ा आधार बन रहा है।