नेडेप कम्पोस्ट

इस विधि की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें जमीन पर टंका बनाया जाता है जिसमें बीच-बीच में कुछ रिक्त स्थान छोड़े जाते हैं। जिससे गड्ढे के अंदर वायु का संचार बना रहता है एवं कचरा सड़ने की प्रक्रिया शीघ्र होती है। इस विधि में कम मात्रा में गोबर, कचरा (बायोमास) एवं बारीक छनी मिट्टी की आवश्यकता होती है।
नेडेप कम्पोस्ट टैंक – ईटें या पत्थर आदि से जमीन के ऊपर टैंक (होदी) तैयार की जाती है। टैंक का आकार आयताकार जिसके अन्दर की लम्बाई 10 फीट, चैड़ाई 6 फीट तथा ऊँचाई 9 फीट रखते है। टैंक की दीवार 9 ईन्च मोटी होनी चाहिए। ईटो की जुडाई मिट्टी से करते है, सिर्फ टैंक की ऊपर्री इंट से सीमेन्ट से जोड़ते है जिससे टैंक गिरने का डर न रहें। हवा के आवागमन के लिए टैंक की चारों दीवारों में 7 ईन्च चौड़े छेद छोडने चाहिए। इंट की दो परत के बाद तीसरी परत को जोडते समय प्रत्येक इंट की जुड़ाई के बांयी 7 ईन्च का छेद छोड़कर जुड़ाई करते है। इस प्रकार तीसरी, छठी तथा नवीं परत में छेद रखते है। यह छिद्र एकान्तर में छोडे़ जाते है, एक के ऊपर दूसरा छिद्र न आये यह ध्यान रखना चाहिए। टैंक के अन्दर व बाहर की दीवारों और फर्श को टैंक भरने से पूर्व गोबर व मिट्टी के मिश्रण से भली प्रकार लीप देना चाहिए। टैंक सूखने के बाद ही प्रयोग में लाये।
इस विधि में निम्न सामग्री काम में ली जाती है।
(अ) फार्म अवशेष, अपशिष्ट, कम्पोस्ट बनाने के लिये आवश्यक सामग्री- कपास व अरहर के डंठल, गन्ने की पत्तियाँ आदि करीब 1400-1500 कि.ग्रा.।
(ब) पशुओं की गोबर – 90-100 कि.ग्रा (8-10 टोकरी)।
(स) सूखी छनी मृदा- 1750 कि.ग्रा. (120 टोकरी, पशुमूत्रयुक्त मिट्टी अधिक लाभकारी होती है)।
(द) पानी मौसम अनुसार (वर्षा में कम तथा शुष्क मौैसम में प्रचुर मात्रा में 1500-2000 लीटर होती है)।
इस विधि में पशुओं के गोबर का कम प्रयोग किया जाता है। इस विधि में वायुवीय प्रक्रिया द्वारा कार्बनिक पदार्थो का विघटन होता है तथा कम्पोस्ट तैयार होने में 90-120 दिन का समय लगता है। इस विधि से तैयार कम्पोस्ट में 0.5 -1.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.5-0.9 प्रतिशत फाॅस्फोरस व 1.2-1.4 प्रतिशत पोटाश होता है।
टैंक भरने की विधि -टैंक भरने से पूर्व गोबर के घोल का छिडकाव टैंक के नीचे तथा दीवारों के अन्दर कर लेना चाहिए। टैंक की भराई 48 घण्टों में पूर्ण कर लेनी चाहिए अन्यथा कम्पोस्ट बनने की प्रक्रिया में बाधा आती है।
प्र्रथम परत (वानस्पतिक पदार्थ) -पहली 6 ईन्च की परत फार्म के वानस्पतिक अवशेषों से भर देनी चाहिए, जो करीब 100 कि.ग्रा. होते है।
दूसरी परत (गोबर का घोल) -गोबर या गोबर की लेही (करीब 4-5 कि.ग्रा. गोबर को 125-150 लीटर पानी में घोल) का पहली परत पर एकसार छिड़काव करते है।
तीसरी परत (साफ सूखी छनी मिट्टी) -इस परत में 50-60 कि.ग्रा. (4-5 टोकरी) साफ सूखी छनी मिट्टी की परत पर एकसार बिछा देते है तथा इसके ऊपर पानी का छिड़काव कर गीला कर लेते है।
इस प्रकार के तीन क्रमों में टैंक में परत बनाते रहते है जब तक ढेर टैंक दीवारों से 1.5 फीट ऊपर तक न आ जाये। साधारणतया 11-12 तहों में टैंक भर जाता है। टैंक के ऊपरी भाग को झोंपडीनुमा आकार देते है। टैंक भरने के बाद ढ़क देते है तथा 3 ईन्च मोटी मिट्टी की परत (करीब 300-400 कि.ग्रा. मिट्टी) की सहायता से अच्छी तरह बन्द कर देते है। इस बात का ध्यान रखें की टैंक के ढेर में दरार न पड़े क्यांेकि दरारों से गैस निकलती रहती है इसलिये इसके ऊपर पुनः लीपन करते रहें।
दूसरी भराई – 15-20 दिन बाद कूड़ा-करकट दबकर नीचे बैठ जाता है तथा टैंक करीब 8-9 ईन्च तक खाली हो जाता है इसको उपरोक्त क्रमानुसार तीन परतों में भरकर गोबर व मिट्टी से लीप देना चाहिए। इस विधि से कम्पोस्ट तैयार होने में 3-4 माह का समय लगता है। कम्पोस्ट में 30-40 प्रतिशत नमी बनाये रखने के लिए गोबर व पानी के मिश्रण का छिड़काव करें, जिससे खाद में आवश्यक पोषक तत्व संरक्षित रह सकें।
साधारणतया एक टैंक से 160-175 घन फीट कम्पोस्ट जिसका वजन 3 टन के करीब होता है, प्राप्त होता है।
कम्पोस्ट प्रयोग विधि
सिफारिशानुसार (सामान्यता फसलों में 10-15 टन प्रति हैक्टर सब्जियों में 20-25 टन प्रति हैक्टर) कम्पोस्ट की मात्रा को बुवाई के 3-4 सप्ताह पूर्व खेत में डालकर हल चलाकर मिट्टी में भली-भाँति मिला लेना चाहिए।
चित्र: नेडेप कम्पोस्ट बनाने की विधि
