
हमारे देश में दो कृषि पद्धतियों के बारे में मुख्य रूप से चर्चा होती आई है जिसमें प्रथम है- परम्परागत कृषि या जीवनयापन कृषि तथा दूसरी है- आधुनिक कृषि या रासायनिक खेती। परम्परागत कृषि में किसान स्वयं उत्पादित या प्रकृति जनित संसाधनों पर निर्भर करता है। बढ़ती जनसंख्या की खाद्यान्न मांग को पूरा करने के लिए नये बीज, संवर्धित तकनीकांे, उर्वरक, पानी एवं रसायनों के उपयोग से खाद्यान्न उत्पादन में 1970 के दशक में आशातीत वृद्धि हुई जिसे किसानों व कृषि वैज्ञानिकों ने आधुनिक खेती का नाम दिया तथा इससे प्राप्त अधिक उत्पादन को हरित क्रान्ति के नाम से जाना जाने लगा। स्वाभाविक है कि अधिक उपज की लालसा में वैज्ञानिकों ने नये-नये प्रयोग किए तथा अच्छे परिणामों की आशातीत सफलता से किसानों ने परम्परागत कृषि की जगह आधुनिक कृषि को अपनाया। लेकिन 1980 के दशक में फसल उत्पादकता मंे गिरावट, अधिक लागत, जल व भूमि प्रदूषण, मृदा तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव इत्यादि कारणों के कारण आधुनिक खेती के दूरगामी प्रभावों की चर्चा जोरों से होने लगी जिनके फलस्वरूप इसके विकल्प के रूप में एक नई कृषि पद्धति के बारे मंे सोचा जाने लगा। नई कृषि पद्धति का मुख्य ध्येय है टिकाऊपन अर्थात् किस प्रकार फसल उत्पादकता के स्तर को बनाया रखा जा सकता है। इस प्रश्न के समाधान के रूप मंे टिकाऊ कृषि की अवधारणा का जन्म हुआ। टिकाऊ कृषि के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आज विभिन्न कृषि पद्धतियाँ प्रचलित हैं जिनमें से एक है- जैविक कृषि। जैविक कृषि के क्रमिक विकास की कई कड़ियाँ हैं जो परिष्कृत होते-होते पूर्ण जैविक कृषि का रूप ले चुकी हैं।
विश्व में जैविक खेती
विश्व के लगभग 190 देशों में प्रमाणित जैविक खेती की जा रही है। भारत में प्रमाणीकृत जैविक खेती का क्षैत्र वर्ष 2021-22 में 9.11 मिलियन हैक्टेयर है। इसमें 4.72 मिलियन हेक्टेयर खेती योग्य क्षेत्र और 4.39 मिलियन हेक्टेयर जंगली फसल संग्रह के लिए शामिल है।
भारत में जैविक खेती
सभी राज्यों में मध्यप्रदेश में जैविक प्रमाणीकरण के तहत सबसे बड़ा क्षेत्र है इसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, ओडिसा, सिक्किम और उत्तर प्रदेश हैं। भारत ने लगभग 3.43 मिलियन मीट्रिक टन (2021-22) प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन किया, जिसमें खाद्य उत्पादों की सभी किस्में शामिल हैं जैसे कि तिलहन फसल, गन्ना, अनाज और बाजरा, कपास, दालें, सुगंधित और औषधीय पौधे, चाय, कॉफी, फल, मसाले ड्राई फ्रूट्स, सब्जियां, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि ।
विभिन्न राज्यों में मध्य प्रदेश सबसे बड़ा उत्पादक है इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान हैं। 2021-22 के दौरान निर्यात की कुल मात्रा 4.603लाख मीट्रिक टन थी। जैविक खाद्य निर्यात प्राप्ति लगभग 5.249 करोड़ (771.96 मिलियन अमरीकी डालर) थी । संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इजरायल, यूएई, न्यूजीलैंड, वियतनाम आदि को जैविक उत्पादों का निर्यात किया जाता है ।