देशज तकनीक से आशय उन घरेली तकनीकों से है जिनका प्रयोग लम्बे समय से स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है साथ ही जिन तकनीकों का विकास घरेलु ज्ञान एवं आवश्यकता के अनुरूप किया गया है ।

  • जैविक बीज उपचार हेतु बीज पर भभूत अमृत पानी का घोल छिड़कर कर अच्छी तरह से हल्के हाथ से मिलाये ताकि घोल का बीज पर अच्छी तरह से लेप हो जाये। इस लेप किये हुए बीज कोें सुखा कर फिर बुवाई करें। बीज उपचार सभी फसलों के बीजों का करें।
  • जिन फसलों की रोपाई होती है, जैसे मिर्ची, टमाटर, बैंगन इत्यादि को रोपने से पूर्व 10 मिनट तक अमृत पानी में डूबाकर रखने से बीमारियों का आक्रमण बहुत कम होता है।
  • हल्दी, अदरक, आलू, गन्ना, केला, अरबी इत्यादि फसलों की बुवाई करते समय गांठों या कंदो को अमृत पानी में 10 मिनट तक डूबोकर लगाने से स्वस्थ्य अंकूरण एवं फसल बीमारियों से बहुत कम प्रभावित होती है।
  • अनाज को कड़ी धूप में सुखाकर ही भंडारण करना चाहिए। 12 प्रतिषत से अधिक नमी होने पर फफूंद लगने से अनाज खराब हो जाता है।
  • दालों को भण्डारण से पूर्व दाल पर मीठा तेल ;520 ग्राम मीठा तेल प्रति 100 किलोग्राम दालद्ध लगा देने से दालों को भृंग के आक्रमण से बचाया जा सकता है।
  • बीजों के भण्डारण के लिए अनाज के नीचे नीम की पत्तियां बिछा देने से भी धुन नहीं लगता है।
  • लकड़ी या कण्डे की राख को दालों में मिलाकर रखने से दालों का भृंग (धुन) नहीं लगता है।
  • लहसून की दो गांठो को 5 किलो चावल के हिसाब से रखने पर चावल में धुन व तिलचट्टे का आक्रमण नहीं होता है।
  • निबोली चुर्ण को अनाज के साथ मिलाकर रखने से अनाज में कीड़े नही लगते है।
  • इल्ली (बोरर) के नियंत्रण हेतु 250 ग्राम तम्बाकू, 300 ग्राम हरी मिर्चए 50 ग्राम नींबू के सत को 2 लीटर पानी में उबालकर छान लें। उक्त मिश्रण से 250 ग्राम घोल लेंकर 15 लीटर पानी में मिला ले एवं सुबह सुबह छिड़काव करे।
  • इल्ली (बोरर) मच्छर के नियंत्रण हेतु 1-5 लीटर गौमूत्र में 100 धतूरे के पत्तों को कूट कर मिलाकर छान ले। एक लीटर गौमूत्र घोल को 15 लीटर पानी में मिलाकर सुबह सुबह छिड़काव करे।
  • चने व कपास की इल्ली के नियंत्रण हेतु 10 लीटर गौमूत्र में 1 किलो नीम या गीलोई या आक के पत्ते मिलाकर 15 दिन तक रखे। 15 दिन बाद इस घोल में 100 ग्राम लहसून डालकर इतना उबाले की घोल 5 लीटर रह जाये। 15 लीटर की स्प्रे टंकी में 750 ग्राम मिश्रण डालकर फसल पर छिड़काव करे।
  • मिर्च फसल पर मन्डासिया रोग नियंत्रण हेतु 10 लीटर पानी में 10 किग्रा नीम के पत्तेए 5 किग्रा निम्बोली, 2 किग्रा धतूरे के पत्ते व 2 किग्रा आंकडे के पत्ते मिलाकर उक्त सामग्री को उबाल ले एवं सारा अर्क निकालकर कपड़े से छान करके पीपीया भरकर रख लें। बाद में 150 लीटर पानी में घोलकर मिर्च में छिड़काव करे।
  • मिर्च, जीरा की फसल में कीडे़ व बिमारियों के जैविक नियंत्रण हेतु एक मटकी या बर्तन में 10 लीटर खाटी छाछए 5 किग्रा नीम के पत्तेए 5 किग्रा आॅक के पत्ते व 100 ग्राम ताम्बा लेकर एक सप्ताह तक पेक करें। बाद मे अच्छी तरह से मिलाकर, बाटकर, कपडे से छान कर के पीपी में भरें तथा इस दवा को 150 लीटर पानी में मिलाकर एक बीघा में प्रयोग में ले।
  • चना में मोजेक बीमारी के नियंत्रण हेतु देषी गाय की 10-15 दिन पुरानी 100-150 मिली लीटर खट्टी छाछ को 15 लीटर पानी में मिलाकर चने की फसल में दो बार छिड़काव करने से मोजेक बिमारी के नियंत्रण में फसल को लाभ मिलेगा।
  • चने में उकठा रोग के नियंत्रण हेतु चने के बीज को 4 घण्टे छाछ से उपचारित कर बुवाई करें।
  • इल्लियों के नियंत्रण हेतु 25 लहसून की कलियां छीलकर चटनी के समान लुगदी तैयार करें। इस लुगदी को 500 लीटर पानी में मिलाकर छान कर फसलों पर छिड़काव करें। इल्लियां मर जायेगी।
  • देशी कोठीयों को उपचारित करने के लिए कोठीयों में दीप जलाकर उसे पेक करें तथा अनाज भंडारण करके कोठीयों को धूम्ररहित करें।
  • अनाज को 1/2 किलो नीम की पत्तियाँ एवं 3 किलो राख के साथ भंडारित करने पर अनाज खराब नही होता है।
  • अनाज को धूप में तीन दिन तक सुखा दे जब उसमें 5 से 10 प्रतिशत नमी रहती है तो भंडारण करें। इससे अनाज नहीं फूलता है।
  • बीस किलो खाद पर पांच लीटर खराब ओइल डालकर प्रयोग करने से या सिंचाई के साथ खेत में देने से दीमक नियंत्रण किया जा सकता है।
  • 10 किलो नीम के पत्ते, 5 किग्रा आॅक के पत्तों को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर दस दिन पानी में रख देवं। 30 दिन बाद खेत में डालने से दीमक नियंत्रण हो जाता है।
  • चूहा नियंत्रण हेतु आॅक पत्ते और दूध में 100 ग्राम दाना मिलाकर खेत पर चूहों के बिलों के पास रखे। इसे खाने पर चूहा मर जाता है।
  • रोजड़ा भगाने हेतु गोबर का घोल बनाकर फसलों पर छीड़काव करने से रोजड़ा फसल को नहीं खाता है।
  • बीज को अच्छी तरह से सुखाकर व बीज भण्डारण के समय नीम के पत्ते व राख मिलाकर रखने से कुछ समय तक बीज खराब नही होता है।
  • नीम की निम्बोली व पत्ते को पीसकर 10 घण्टे भिगोकर, छानकर 1ः10 से छिड़काव करने पर फसलों में कीडो का नियंत्रण किया जा सकता है।
  • जंगली प्याज को अनाज के भण्डारण के समय रखने से अनाज खराब नही होता है।
  • दीमक नियंत्रण हेतु खेतों में नीम की खली मिलायें।
  • बीज को अच्छी तरह से सुखाकर बीज को भण्डारण के समय नीम के पत्ते व राख मिलाकर रखने से काटते समय तक बीज खराब नही होगा।
  • भण्डारण के समय बिछाली को टाल कर भण्डारण व बुवाई करें।
  • नीम की निम्बोली व पत्ते को पीस कर 10 घण्टे भिगोंकर छान कर 1ः10 अनुपात से स्प्रे करने पर फसलों में कीड़ों का नियंत्रण किया जा सकता है।
  • कुक्ुक्र बिट्स फसलों जैसे कद्दू में फल (झड़ जाना) नहीं टहलने पर भू जल व घी की धूप निवाभ बालक द्वारा लगवाने पर फल झड़ना कम हो जाता है।
  • कपास में कीट नियंत्रण हेतु लहसून को पीस कर सड़ा ले व स्प्रे करें।
  • फसल कार्य से एम.सी. परियड वाली महिलाओं को चार दिन कृषि कार्य से विश्राम दिलावे ताकि फसल रोग कम आयें।
  • मिर्ची में राख का छिड़काव करने से कीड़े कम हो जाते है।
  • जंगली प्याज (कोली कांहा) को गोदाम में रखने से अनाज खराब नही होता है।
  • मिर्च में फूल गिरना मोजक (माथा बनना) आदि को रोकने के मरी हुई गाय का सिर सिंग सहित खेत के बीच सेन्टर बिन्दू पर मिर्ची के पौधों के बराबर रख कर गाड देने से मिर्ची में यह रोग नहीं लगता है। (सभी सब्जियों में कारगर है)
  • सब्जियों में व कपास में राख का छीड़काव करने से कीट कम लगते है।
  • अनाज भण्डारण के लिए नीम की पत्तियां व राख डालने से अनाज नहीं खराब होता है।
  • चने की फसल में बीज उपन्वरा (उखटा रोग) रोग नियंत्रण हेतु एक ग्राम हींग को 1 लीटर पानी में घोलकर चने के बीज को उपचार करके बुवाई करने से उकटा रोग नियंत्रण किया जा सकता है।
  • चने की फसल में 5 किलों सरसों की खली को मिलाकर बुवाई करने से दीमक नियंत्रण किया जा सकता है।
  • 10 लीटर छाछ को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से कठोर भूमि नरम हो जाती है।
  • 50 ग्राम गूगल व 100 ग्राम लोबान की धूप देने से सब्जियों के सारें कीड़े मर जाते है तथा फल बनने लगते है।
  • मोयला नियंत्रण के लिये 1 किग्रा नीम के पत्ते, 1 किग्रा आक, 1 किग्रा धतुरा के पत्तों को अच्छी तरह पीस कर इस घोल का सरसों व जीरे में छिड़कने से मोयले का नियंत्रण हो जाता है।
  • बीज उपचार के लिये 1 ग्राम हींग को 1 किग्रा पानी में मिलाकर 20 किग्रा चने के बीज में मिलाकर बुवाई करने से उकठा रोग का नियंत्रण हो जाता है।
  • दीमक नियंत्रण के लिये 5 किग्रा सरसों की खली को कुट कर खेत में छिड़कने से दीमक का नियंत्रण हो सकता है।
  • दीमक नियंत्रण के लिये इंजन के जले हुय 5 लीटर आॅयल को एक बीघा खेत में छिड़काव करने से दीमक नियंत्रण हो जाता है।
  • चूहों के नियंत्रण हेतु घरों व खेतों में गाजर बडी के टुकडे कर के चार से पांच जगह पर रखकर उन गाजर के टुकडों को गुड, तेल का पेस्ट लगा कर रखने से चूहे खा कर इधर-उधर भाग जाते है क्योंकि उन के दातों पर गाजर का चुसा फस जाता है।
  • मोयला नियंत्रण हेतु 1 किग्रा नीम के पत्ते, 1 किग्रा आक पत्ते, 1 किग्रा धतुरा के पत्ते को अच्छी तरह पीस कर तथा घोल कर सरसों, जीरा व अन्य फसलों पर छिडकने से मोयला का नियंत्रण हो जाता है।
  • दीमक नियंत्रण हेतु 5 किग्रा सरसों की खल को कुट कर खेत में छिडकने से दीमक का नियंत्रण हो जाता है।
  • दीमक नियंत्रण हेतु खेत में चार-पांच जगह मिट्टी के छोटे घडों में मक्का फसल के अवषेष यानि की डुडियों पर गुड़ का घोल छिडक कर भूमि में गाड देने से सभी दीमक उस घडे में आ जाती है। उसे बाहर निकाल कर नष्ट कर देवें।
  • छाछिया की रोकथाम हेतु 10 लीटर छाछ को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने पर छाछीय पर नियंत्रण होता है।
  • 50 ग्राम गुगल व 100 ग्राम लोबान को खेत में धूप में रख देने से सब्जियों के सारे कीडे मर जाते है।
  • इसके लिए 1 ग्राम हींग को 1 किग्रा पानी में मिलाकर 20 किग्रा चने के बीज को मिलाकर उपचार करने से उकठा रोग पर नियंत्रण होता है।
  • अमरबेल से फसल को बचाने के लिये नमक के पानी में बीज को अच्छी तरह से भिगोकर (1 घण्टे तक) पानी में रखें बाद में पानी को ठीक से निकाल देवें।
  • अन्न सुरक्षा हेतु गेहूं वगैरह को कोठे में डालकर, एक दीपक में मीठा तेल डालकर दीपक कर कोठे को पैक कर देवें। कोठे में स्थित आॅक्सीजन समाप्त हो जाने से कीटों से अन्न का नुकसान नहीं होगा।
  • मौथा (खरपतवार) को खत्म करने के लिये खेत की गहरी जुताई करके फिर पूर्णिमा के दिन चिटियों को डालने का चुग्गा पूरे खेत में डाल देना चाहिये जिससे रात भर में चिटियां उस चुग्गे के साथ-साथ मौथे के बीजों को भी खा जाती है।
  • खडी फसल में कीटों को मारने के लिए नीम पत्ती या नीम्बोली आक एवं धतुरा के पत्ते लेकर उनको कुटकर एक मटके में भर कर 5-7 दिन तक जमीन में दबाये रखें बाद में उस पानी को छांटकर स्प्रे करने से कीटों की रोकथाम की जा सकती है।
  • फली छेदक के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए नीम की हरी पत्तियों को बाट कर उनका रस निकाल लेवे एवं उस रस को कपडें से अच्छर तरह छान कर लगभग 2 से 2 1ध्2 किलों रस को एक एकड़ फसल पर स्पे्र मषीन से छिड़काव कर देवे तो फलीछेदक का प्रकोप समाप्त हो जायेगा।
  • कीट नियंत्रण हेतु 1 किग्रा कुटी नीम्बोली या 6 किग्रा नीम की पत्ती का रस, 1 किग्रा आक के पत्ते, 1/2 किलो तम्बाकू को 1 लीटर पानी के साथ मिलाकर एक मटके में भरकर रोडी में 15 दिन तक दबा देते है तथा 15 दिन बाद निकाल कर कपडे से छानकर 1 लीटर छना पानी में 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर स्प्रे करने पर कीट नियंत्रण होता है।
  • सांयकाल के समय 7 से 8 बजे के बीच गुगल एवं लोबान की धुप देने से कीट मोथ खेत से दूर भाग जाते है तथा मोथ मर जाते है जिससे कीट नियंत्रण होता है।
  • 50 ग्राम कांच को पिसकर गुड 50 ग्राम, आटा 100 ग्राम, तेल 20 ग्राम की गोली बनाकर चुहें के बील में डालने से चुहें की मृत्यु हो जाती है।
  • मिर्च की फसल में फूल झडने की समस्या के नियंत्रण हेतु ईट के भट्टे की राख का भुरकाव करवाने से मिर्च में फूल झडने की समस्या का निंयत्रण हो गया।
  • मोजेक के नियंत्रण हेतु देषी गाय की 100 से 150 लीटर छाछ को ताम्बे के बर्तन में खुला रखकर 10 से 15 दिन तक अच्छी तरह सड़ जाने के बाद उस छाछ में 10-15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने से फसल में मोजेक का नियंत्रण हो गया।
  • दीमक नियंत्रण हेतु गर्मी की गहरी जुताई के बाद उस खेत में दीमक उपचार हेतु 4 किग्रा गुड को 40 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़कने से दीमक चिटियों द्वारा नष्ट कर दी जाती है।
  • शाम को करीब 10 बजे लोबान एवं गुगल की धूप देने से रात को घूमने वाले कीड़े खत्म हो जाते है।
  • अनाज भण्डारण हेतु पूर्णिमा के रोज भण्डारण करने से धुन कौटा कम लगते है।
  • अनाज भण्डारण हेतु नीम की कोपल को सूखाकर गेहूं जौ के भण्डारण हेतु डालकर फिर भण्डार करे।
  • गर्मी में गहरी जुताई करने से कीट व्याधि का प्रकोप कम होता है।
  • जैविक पदार्थो जैसे 10 लीटर खट्टी छाछ को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में (1 किग्रा) में षाम के समय छिड़काव करे इससे खेत में जैविक क्रिया होने से कठोर भूमि भी धीरे-धीरे नरम हो जाती है यह क्रिया खेत खाली हो तब करनी चाहिए। 1 वर्ष में यह क्रिया तीन बार करनी चाहिए।
  • दीमक की रोकथाम एवं मोमता घास को खत्म करने के लिए गर्मी के दिनों में जब खेत खाली हो उस समय खेत की गहरी जुताई करके उसके बाद 1 किग्रा चावल की कणी, 1/2 किग्रा नमक एवं 50 ग्राम मीठा तेल मिलावें इसके बाद लगभग 1/2 किग्रा शक्कर या गुड़ मिक्स करके लगभग एक बीघा खेत में शु क्ल पक्ष में पूर्णिमा के आस-पास रात के समय खेत में एवं खेत की मेड पर भी बिखर दें। इससे चिटियां खेत में आयेगी जो दीमक के कीट एवं लार्वा अंड़ो को खायेगी जिससे दीमक समाप्त हो जायेगी। इसके बाद चिटियां खेत में घास की गांठो को खायेगी जिससे गांठ वाली घास खेत से समाप्त होगी।
  • कीट जैसे मोयला, जैसीड, वर्म आदि के नियंत्रण हेतु निम्ब की निम्बोलीयों को एकत्रित कर उसको सुखा कर चुर्ण बना लेवे। 500 ग्राम चूर्ण को 2 लीटर पानी में पूरी रात भिगो देते है। फिर प्रातः उस पानी को अच्छी तरह हिलाकर, छानकर 1ः10 के अनुपात में पानी मिलाकर फसलों पर स्पे्र कर देते है तो कीट का 75-80 प्रतिषत कन्ट्रोल किया जा सकता है।
  • रोजडे व निल गाय से बचाव हेतु नील गायों के मिगने (गोबर) एकत्र कर उनको सूखाकर खेत के चारों तरफ मेड़ों पर उनकी आग लगाकर धुआं करें अथवा 2 किलो गीले गोबर को 10 लीटर पानी में रात भर भिगोकर घोल तैयार करें। इसे खेत के चारों तरफ हैज या बाड पर छिड़कने से नील गाय नहीं आती है। काफी हद तक बचाव हो जाता है।
  • खरगोश अगर रात्री में खेत पर छोटी फसल को खा जाता है तो नाई की दूकान से बाल कटींग को एकत्रित करके खेत के पाली के पास-पास फसल से 1-2 मीटर क्षेत्र के अंतर पर डालने से खरगोश भाग जाते है।
  • जैविक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिये 5 किलो छाछ को मटके में 7 दिन तक धूप में रखकर, सड़ाकर समान मात्रा में पानी में मिलाकर छिड़कने से रिजके की कटाई करके समाप्त किया जा सकता है।यदि यह छिड़काव दूसरी कटाई पर कर दिया जाये तो बराबर मात्रा में पानी मिलाकर छिड़कने पर शत  प्रतिशत अमरबेल समाप्त हो जाती है।
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