मैथी की जैविक खेती

जैविक मैथी उत्पादन की तकनीकें

उन्नत किस्में
आरएमटी-1, आरएमटी-305, आरएमटी-143, प्रताप मैथी, राजेन्द्र क्रांति, पूसा अर्ली बंच

खेत की तैयारी एवं भूमि उपचार
मिट्टी में 2 से 3 जुताई करके पाटा लगाकर खरपतवार निकाल देना चाहिये। जुताई से पूर्व दीमक की रोकथाम के लिएनीम या करंज की खली 2 क्विंटल/हैक्टेयर के हिसाब से मृदा में मिलाकर बुवाई कर देनी चाहिये। यह ध्यान रहे कि जैविक खेती में किसी भी प्रकार का भूमि उपचार रासायनिक पदार्थों को काम में लेकर नहीं किया जाये।

बीज दर एवं बुवाई
बुवाई के लिएअक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है। इसके लिए20-25 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टयर काम में लिया जाता है। बीजों को 30 सेन्टीमीटर की दूरी पर कतारों में 5 सेन्टीमीटरकी गहराई पर बोना चाहिये।

बीजोपचार
बीजों का ट्राइकोडर्माविरिडी 8 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

पोषक तत्व प्रबन्धन
जैविक मैथी के लिए40 किलोग्राम नत्रजन की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति के लिए बुवाई से 21 दिन पूर्व गोबर की खाद 6 टन/हैक्टेयर खेत में मिलावें। साथ में राईजोबियम 600 ग्राम/हैक्टेयर और पीएसबीकल्चर से बीज उपचारित करके बोयें। यदि बीजोपचार संभव नहीं हो तो 8 टन गोबर की सड़ी हुई खाद बुवाई से 21 दिन पूर्व ख्ेात में मिलावें। पौधों की सजीवता बढ़ाने के लिए बीडी-500 (75 ग्राम प्रति 40 लीटर) का बुवाई से पहले शाम को एवं बीडी-501 (2.5 ग्राम प्रति 40 लीटर) का पानी के घोल का छिड़काव प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई से 20 दिन बाद सुबह के समय करें। साथ ही एक महिने बाद पुनः दोहरायें।

सिंचाई
पलेवा करके बीज बुवाई के बाद आवश्यकतानुसार 15-20 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिये।
निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण
बुवाई के 30 दिन बाद निराई-गुड़ाई कर पौधों की छंटनी कर देनी चाहिये। आवश्यकता हो तो एक छंटनी और 10-15 दिन बाद करके 50 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें। खरपतवार नियंत्रण हेतु किसी रसायन को काम में नहीं लेवें।

पौध संरक्षण
मैथी में मुख्य रूप से मोयला कीट, छाछ्या व तुलासिता नामक बीमारियों का प्रकोप होता है। इनकी रोकथाम के लिए बुवाई के 60 व 75 दिन के बाद नीम आधारित घोल (अजेडिरेक्टिन की मात्रा 2 मिली/लीटर) पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 15 दिन बाद पुनः छिड़काव दोहराया जा सकता है।

चूर्णी फफूंद के संरक्षण हेतु: बी.डी.-501 का 2.5 ग्राम प्रति 40 लीटर पानी के घोल से छिड़काव (प्रथम रोग दिखने पर, द्वितीय एवं तृतीय 15 दिन अन्तराल) पर करें।

माहू के संरक्षण हेतु: नीम का तेल 10 मिली लीटर प्रति 1 लीटर पानी के घोल से छिड़काव (प्रथम कीट प्रकोप दिखने पर एवं द्वितीय 15 दिन के अन्तराल) पर करें।

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