बीजामृत
बीजषोधन का अर्थ है बीजों क¨ बीजजनित और मृदाजनित रोगों से बचाव हेतु तैयार करना। बीजषोधन से बीजों के अंकुरित होने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है। बीजषोधन से बीज जल्दी और ज्यादा मात्रा में उगकर आते है। जड़ें तीव्र गति से बढ़ती हैं और भूमि से पौधों में बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है। जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग के प्रणेता महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर द्वारा 2005 में बताई गई बीजामृत तैयार करने की विधि का वर्णन यहाँ दिया जा रहा है।
सामग्री (100 किग्रा बीज हेतु)
- 5 किग्रा गाय का गोबर
- 5 लीटर गाय का ग©-मूत्र
- 20 लीटर पानी
- 50 ग्राम चूना
- 100-150 ग्राम मेड़ की मिट्टी
विधि
- 5 किलो देषी गाय के गोबर को कपड़े में बांधकर गांठ बना लें तथा 20 लीटर पानी में लटकाकर 12 घण्टे तक डुबोकर रखें।
- प्राप्त घोल में से एक लीटर घोल लेकर इसमें 50 ग्राम चूना मिलायें तथा रातभर के लिए रख दें।
- इसके बाद सुबह गोबर वाली गांठ को निचोड़कर पानी में इसका पूरा सत निकाल लें। अब इस पानी में 100 से 150 ग्राम खेत या मेड़ की मिट््टी डालकर तेजी से हिलायें।
- इस घोल में 5 लीटर गौमूत्र मिलायें।
- आखिरी में इसमें चूना पानी मिलायें और घोल को अच्छी तरह से हिलायें।
उपयोग
बुवाई के 24 घंटे पहले बीजषोधन करना चाहिए। बीजामृत तैयार हो जाने के बाद बीजों के जमीन में फैलाकर उसके ऊपर बीजामृत का छिड़काव कर हाथ से बीजों पर बीजामृत की परत चढ़ायें। बीजों को छाया में सुखाएं और इसके बाद में बीज बोएं।
चित्र: बीजामृत तैयार करने की विधि
