किसानों में जैविक उद्यमिता का बढ़ता प्रचलन

राजस्थान में जैविक का प्रचलन बढ़ रहा है। वर्तमान में प्रमाणित जैविक किसानों के अलावा किसान तथा उद्यमी जैविक आदान विपणन, जैविक उत्पादन निर्यात् तथा जैविक प्रसंस्करण को व्यवसाय के रूप में अपनाकर आजीविका में वृद्धि कर रहे हंै (तालिका 1 एवं 2)।
तालिका-1: जैविक फार्म से जैविक उत्पादन विपणन
किसान का नाम/उद्यमी :
श्री हुक्मीचन्द पाटीदार
(सर्टीफाइड-रोका)
गावँ मानपुरा, तहसील-आशनवार, जिला-झालावाड़ (राज.)
क्षेत्रफल:
40 है.
जैविक उत्पाद:
संतरा, धनिया, लहसुन, गेहूँ, चना, काबुली चना, मेथी, अलसी
जैविक आदानों का उपयोग:
गोबर की खाद , वर्मीकम्पोस्ट , वर्मीवाॅश , हरी खाद – सनई, ढैंचा, खेतवार फसल चक्र
मार्केटिंग:
गेहूँ प्रसंस्करण
प्रसंस्करण:
जैविक धनिया – जापान (ऐरिका ट्रेडिंग)
जैविक लहसुन – न्यूजीलैंड ई-टनल हैल्थ केयर बोम्बे)
जैविक गेहूँ – घरेलू मार्केट
तालिका-2: जैविक आदान उत्पादन
किसान का नाम/उद्यमी :
श्री वी.बी. पटेल
गावँ बूझड़ा
जिला-उदयपुर (राज.)
जैविक आदान उत्पादन:
वर्मीकम्पोस्ट – 18000 कि.ग्रा.
केंचुआ की मात्रा – 4500 कि.ग्रा.
वर्मीबेड का शुद्ध क्षेत्र:
3375 वर्गफीट
लागत:
5,33,235रू.
प्रतिवर्ष कुल शुद्ध आय:
4,00,000