जीरे की जैविक खेती

जैविक जीरा उत्पादन की तकनीकें

उन्नत किस्में

  • आर एस-1, आर जेड-19, आरजेड-209 एवं जी सी-2 इत्यादि

खेत की तैयारी

  • हल्का पलेवा देकर प्रथम जुताई मिट्टी पलटने बाले हल से तथा द्वितीय व तृतीय जुताई कल्टीवेटर से करके पाटा चलाकर बुवाई के लिए खेत तैयार कर लिजिए।

भूमि उपचार

  • बुवाई के समय 2 क्विंटल प्रति हैक्टेयर नीम/करंज खली आखिरी जुताई के समय खेत में मिलायें।

बीज दर

  • प्रति हैक्टेयर 12-15 किलोग्राम बीज बोयें

बुवाई

  • नवम्बर के प्रथम सप्ताह से तीसरे सप्ताह तक
  • कतार से कतार की दूरी 30 सेन्टीमीटर में करें

बीजोपचार

  • बीजों का जैविक फंफूदीनाशक ट्राइकोडर्मा वाइरिडी से 6.0 ग्राम प्रति किलो बीज दर से एवं 600 ग्राम एजोटोबेक्टर कल्चर एवं 600 ग्राम पीएसबी कल्चर प्रति हैक्टेयर की दर से  बीजोपचार करें।

पोषक तत्व प्रबंधन

  • गोबर की खाद 6 टन प्रति हैक्टेयर 21 दिन पूर्व खेत में डालकर भूमि में भली-भाँति मिला देवें
  • बायोडायनेमिक खाद 500 को 75 ग्राम/हैक्टेयर की दर से 40 लीटर पानी में बुवाई के एक दिन पहले शाम को मिट्टी पर छिड़काव करें।
  • बायोडायनेमिक खाद 501 (सिलिका खाद) का 5 ग्राम/हैक्टेयर की दर से 40 लीटर पानी में मिलाकर अंकुरण के पश्चात् 2-3 पत्ती अवस्था पर छिड़काव करें।

सिंचाई

  • पहली सिंचाई पलेवा के रूप में करें। इसके बाद दूसरी सिंचाई बुवाई के एक सप्ताह पूरा होने पर जब बीज फूलने लगे तक करें।

निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • प्रथम निराई-गुड़ाई बुवाई के 30-35 दिन बाद व दूसरी 55-60 दिन बाद करनी चाहिये।

कीट एवं रोग प्रबंधन

मोयला कीट तथा झुलसा एवं छाछ्या रोग

  • अजेडीरेक्टीन 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर खुदाई के 45-60 दिन पर प्रथम छिडकाव एवं दूसरा व तीसरा छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करे।
  • नीम की निम्बोली का 5 प्रतिशत घोल बनाकर प्रथम छिड़काव बुवाई के 45 दिन बाद एवं दूसरा तथा तीसरा छिडकाव 15 दिन के अन्तराल पर करे।
  • लहसुन (2 प्रतिशत) के घोल के प्रयोग से कीट नियन्त्रित होते है एवं दाने की गुणवत्ता उत्तम होती है।
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