जीवामृत

यह एक प्रकार जीवाणु संवर्धन कल्चर है जो गाय के गौमूत्र तथा गोबर से तैयार किया जाता है। जीवामृत तैयार करने की विधि जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग के प्रणेता महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर द्वारा 2005-06 में दी गई थी। इसमें पानी की मात्रा के मध्यनजर 5 प्रतिषत गाय का गोबर, 5 प्रतिषत गौमूत्र, 1 प्रतिषत बेसन तथा 0.05 प्रतिषत वट वृक्ष के नीचे की या खेतों की मिट्टी का उपयोग किया जाता है।

सामग्री

  • 10 किलोग्राम देषी गाय का ताजा गोबर
  • 5 से 10 लीटर गो-मूत्र
  • 2 किलो गुड़
  • 2 किलो दाल आटा (चना, उड़द, मूंग)
  • 200 लीटर पानी
  • 100 ग्राम मिट्टी (खेत के मेड़ या पेड़ के नीचे की)

विधि

सर्वप्रथम कोई प्लास्टिक की टंकी या सीमेंट की टंकी लें। इसमें 200 लीटर पानी डाले। पानी में 10 किलोग्राम गाय का गोबर व 10 लीटर गो-मूत्र एवं 2 किलो गुड मिलाऐं। इसके बाद 2 किलो बेसन, 100 ग्राम बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी या खेत की मेड़ की मिट्टी या जंगल की मिट्टी डालें और सभी को डंडे से मिलाऐं। इसके बाद टंकी को जालीदार कपड़े से बंद कर दें। एक दिन में दो बार सुबह षाम डंडे से घोल को हिलाएंे। 48 घंटे बाद जीवामृत तैयार हो जायेगा।
इस जीवामृत का प्रयोग केवल सात दिनों तक कर सकते हैं। प्लास्टिक व सीमेंट की टंकी को छाया में रखे जहां पर धूप न लगे। गो-मूत्र को धातु के बर्तन में न रखें। छाया में रखा हुआ गोबर का ही प्रयोग करें।

उपयोग 

प्रति एकड़ 200 लीटर तैयार जीवामृत सिंचाई के बहते पानी पर बूंद-बूंद टपका कर दें। फसलों और पौधों पर जीवामृत के 10 प्रतिषत घोल का छिड़काव कर दें। छिड़काव करने से उनको उचित पोषण मिलता है और दाने/फल स्वस्थ होते है।

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