गोबर की खाद

गोबर की खाद तैयार करने की वैज्ञानिक विधियाँ

  1. संशोधित गड्ढा विधि:इस विधिसे अच्छी किस्म का खाद तैयार होता है। इस विधि से खाद बनाने के लिये एक पशु के लिए 1.10 मीटर गहरा, 2.0 मीटर चैड़ा व 3.0 मीटर लम्बा गड्ढा एक वर्ष के लिए पर्याप्त रहता है। पशुओं की संख्या अधिक होने पर गड्ढो की गहराई, लम्बाई व चैड़ाई बढ़ाने की अपेक्षा उनकी संख्या बढ़ाना उचित रहता है। रेतीली भूमि में गड्ढे पक्के बनाने चाहिए जिससे पोषक तत्वों का ह्मास रिसकर न हों। चिकनी भूमि में पक्के व कच्चे दोनों प्रकार के गड्ढे बनाये जा सकते है। गड्ढेे छायादार व ऊँचे स्थान पर बनाने चाहिये जिससे वर्षा का पानी गड्ढो में न भरे। सर्वप्रथम गड्ढे के पैंदे में 10-20 से.मी. की परत चारे या बिछावन की लगानी चाहिये। इसके बाद गोबर व मूत्र की 75-100 से.मी. परत डालनी चाहिए। तीसरी परत पुनः बिछावन की 75-100 से.मी. मोटी डालें। इस क्रम में गड्ढे की भराई भूमि सतह से 50 से.मी. ऊँचाई तक करें। इसके बाद ढेर को समतल कर 10 से.मी. मिट्टी की परत से गड्ढे को बन्द कर देना चाहिए। गड्ढें में खाद 5-6 माह में सड़कर तैयार हो जाता है।
  2. ट्रेंच विधि:यह विधि डाॅ.सी.एन. आचार्य द्वारा विकसित की गई है। इस विधि में 6.0 मीटर लम्बाई, 1.5 मीटर चैड़ाई व 1.0 मीटर गहराई की ट्रेंच (खाई या नाली) तैयार की जाती है। इस विधि में ट्रेंच की लम्बाई बढ़ाई जा सकती है, परन्तु गहराई नहीं बढ़ाते है। इस विधि में बिछावन, मल-मूत्र आदि को ट्रेन्च के आधे भाग में भरते है। जब ट्रेन्च का आधा भाग भरते-भरते भूतल से आधा मीटर ऊँचा हो जाता है तो उसे गोलाकार या डोम आकार का रूप देकर गोबर तथा मिट्टी के मिश्रण से लेप देते है। आधा भाग भर जाने के पश्चात् गड्ढे के दूसरे भाग को भर कर इसी प्रकार लेप करते है। इस विधि की विशेषता यह है कि जब तीन माह में दूसरा ढ़ेर बनता है तब तक पहले ढ़ेर की खाद सड़कर प्रयोग के लिये तैयार हो जाती है। इस तरह एक ही गड्ढे से पूरे वर्ष सड़ी हुई खाद खेत में देने के लिए प्राप्त हो सकती है। इस प्रकार तैयार की गई खाद में नाइट्रोजन की मात्रा भी अधिक होती है।

सड़ी हुई गोबर की खाद की पहचान: अच्छी सड़ी हुई गोबर का कोई भी घटक अलग से नहीं दिखाई देता है, खाद में किसी तरह की दुर्गन्ध नहीं आती है, खाद भुरभुरी तथा उसका रंग हल्का भूरा होता है।

गोबर के खाद की प्रयोग विधि: साधारणतया सभी फसलों में 10-15 टन प्रति हैक्टर व सब्जियों में 20-25 टन प्रति हैक्टर गोबर की खाद की मात्रा प्रयोग में लेते है। बुवाई के 3-4 सप्ताह पूर्व अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करते है। खेत में खाद को समान रूप से बिखेरकर हल से जुताई करके मिट्टी में मिलाते है। खेत में खाद डालने के बाद ज्यादा समय तक खुले में नही छोड़ना चाहिए अन्यथा खाद से नाइट्रोजन का ह्मास होता है। यदि खेत में कुछ समय के लिए खाद को खुला छोड़ना हो तो छोटी-छोटी ढेरियाँ नहीं करके बडे ढेर के रूप में ही खाद को खेत में खुला छोडें़।

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