जैविक खेती के सिद्धान्त

आई.एफ.ओ.ए.एम. (इंटरनेशनल फैडरेशन ऑफ ऑर्गनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट्स) अथवा अंतराष्ट्रीय जैविक कृषि गतिविधि संघ के अनुसार जैविक खेती के चार सिद्धांत हैः
- स्वास्थ्य का सिद्धांतः मृदा, पादप (फसल), पशु और मानव स्वास्थ्य को लगातार बनाए रखना एवं साथ ही उसमें वृद्धि करना। यदि मृदा का स्वास्थ्य अच्छा होगा तभी उसमें उगने वाली फसलों का स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। इसी प्रकार यदि पशु अथवा मानव इन स्वस्थ पादपों (फसलों) का सेवन करेंगे तो उनका स्वास्थ्य भी अच्छा होगा।
- पारिस्थितिकी का सिद्धांतः जैविक खेती पारिस्थितिकी एवं सजीव पद्धतियों ओर चक्रों पर आधारित होनी चाहिए। जैविक खेती इन पारिस्थितिक चक्रों के साथ कार्य करें और साथ ही इनकी सततता बनाए रखने में भी सहायक होनी चाहिए।
- निष्पक्षता अथवा न्याय संगतता का सिद्धांत: जैविक खेती पर्यावरण में उपस्थित सभी जीवों के पारस्परिक संबंधों को सुदृढ़ करने पर विशेष बल देती है, जिससे कि किसी भी जीव के साथ अन्याय न हो और साथ ही उसका अत्यधिक दोहन भी न हो।
- सेवा का सिद्धांतः जैविक खेती को एक जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए, जिससे कि वर्तमान जनसंख्या और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य हितों की अवहेलना न हो और साथ ही पर्यावरण स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा प्रभाव न पड़े।